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प्रिय मित्र,
आज सुबह बनारस की फिज़ा में शहनाई की मिठास थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना रोड़शो शुरु किया और जैसे-जैसे कारवां आगे बढ़ा, पूरा शहर इसमें शामिल हो गया।
वाराणसी में यह चुनाव बाहरी बनाम स्थानीय का हो चुका है। आज कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ इस रोड़शो में उतर कर काशी की जनता ने बाहरी ताकतों को अपनी स्थानीय ताकत का अहसास करा दिया।
पीली कोठी से शुरु हुआ यह अभियान शहर के लहुराबीर, मदनपुरा, सोनारपुरा होते हुये महामना के चरणों में नमन के साथ समाप्त हुआ।
आज सुबह बनारस की फिज़ा में शहनाई की मिठास थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना रोड़शो शुरु किया और जैसे-जैसे कारवां आगे बढ़ा, पूरा शहर इसमें शामिल हो गया।
वाराणसी में यह चुनाव बाहरी बनाम स्थानीय का हो चुका है। आज कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ इस रोड़शो में उतर कर काशी की जनता ने बाहरी ताकतों को अपनी स्थानीय ताकत का अहसास करा दिया।
पीली कोठी से शुरु हुआ यह अभियान शहर के लहुराबीर, मदनपुरा, सोनारपुरा होते हुये महामना के चरणों में नमन के साथ समाप्त हुआ।
विरोधी दलों को कांग्रेस के जनसमर्थन का विरोध करने से पहले आत्मचिंतन करना चाहिये। आखिर इतना बड़ा जन सैलाब कांग्रेस के साथ क्यों आया?
क्योंकि 1991 के बाद से वाराणसी में भाजपा के ही सांसद हैं, भाजपा के ही विधायक हैं, नगर निगम में भाजपा के ही मेयर और पार्षद हैं। फिर भी भोले की नगरी कूड़े-कचरे के अंबार पर जीने को मजबूर है।
विकास और गुजरात मॉडल नाम पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा का सच हर काशीवासी को अच्छी तरह से समझ आ गया है।
जय हिंद!
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