Modi government with mixed reactions is being appreciated by many and being criticized by others for not adhering to promises PM Narinder Modi made before elections or in the saffrons manifesto. Most of the citizen still rate him the performers at various levels but on the question of employment,ease of business, corruptions at lower levels their is either no progress or citizen are finding the situation not conducive. Similarly the opposition parties are making continuous political jibes and pot shots on PM Modi rule. Rahul Gandhi Vice President Congress party remarked in lighter vein on his Facebook promotional page said the Champions of Lokpal is in deep slumber. The government has received some better markings from the international rating agencies.
Lokpal mentioned in constitution of India needs our attentions. In this context For anti- corruptions, and ease of business and conduct of politicians, national campaign on the Anti corruption was initiated in the year 2011 for appointment of Lokpal and Lokayukta which is still in cold storage. Anna Hazare, The champion of Lokpal again arise and awakes and writes a strong letter to the PM Modi on this account.
Anna Hazare
3 hrs ·
कब तक करेंगे इंतजार? लोकपाल नहीं तो फिर आंदोलन…
प्रति,
मा. नरेंद्र मोदी जी,
प्रधान मन्त्री, भारत सरकार,
राईसीना हिल, नई दिल्ली-110 011.
विषय- लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती करने, संसद में प्रतीक्षित भ्रष्टाचार को रोखनेवाले सभी सशक्त विधेयकों पर सही निर्णय होने और किसानों की समस्याओं को ले कर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर अमल होने के लिए दिल्ली में आंदोलन करने हेतु….
महोदय,
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखते हुए अगस्त 2011 में रामलिला मैदान पर और पुरे देशभर में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन को देखते हुए 27 अगस्त 2011 के दिन भारतीय संसद में ‘Sense of the House’ से रिज्युलेशन पास किया गया था। जिसमें केंद्र में लोकपाल, हर राज्यों में लोकायुक्त और सिटिझन चार्टर ऐसे महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर जल्द से जल्द कानून बनाने का निर्णय किया गया था। इस रिज्युलेशन को लेकर केंद्र सरकार ने लिखित आश्वासन देने के बाद बडे उम्मीद से मैने 28 अगस्त के दिन अपना आंदोलन स्थगित किया था। भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए जनता के मन में बडी उम्मीद जगानेवाली इस ऐतिहासिक घटना को अब छह साल पुरे हो चुके हैं। लेकिन आज छह साल बाद भी भ्रष्टाचार को रोखनेवाले एक भी कानून पर अमल नही हो पाया। इससे व्यथित हो कर मै आज आपको यह पत्र लिख रहां हूँ।
आपकी सरकार सत्ता में आने के बाद ३ साल में लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती के संबंध में तारिख 28/08/2014, 18/10/2014, 01/01/2015, 01/01/2016, 19/01/2017, 28/03/2017 को हमने लगातार पत्राचार किया। लेकिन आप की तरफ से कार्रवाई के तौर पर कोई जबाव नहीं आया। देश में बढते हुए भ्रष्टाचार को रोकथाम लगे इस लिये लोकपाल और लोकायुक्त कानून की मांग को ले कर देश की जनता ने एक शांतिपूर्ण आंदोलन किया था। तब देश में गांव-गांव, शहर-शहर के लाखों की संख्या में लोग, स्कुल के बच्चे और कॉलेज के नवयुवक आंदोलन के लिए रास्ते पर उतर आए थे। क्योंकी भ्रष्टाचार के कारण आम जनता को जीवन जीना मुश्किल हो रहा था। देश में आजादी के बाद शायद पहली बार इतनी बडी संख्या में लोग आंदोलन में उतर आए थे। यह पुरा आंदोलन अहिंसा के मार्ग से हुआ। किसी ने एक पत्थर तक नहीं उठाया। भारत के इस अहिंसात्मक आंदोलन की चर्चा दुनिया के कई देशों में हुई थी। जनशक्ती के इस आंदोलन के कारण 42 साल बाद तात्कालिक सरकारने लोकपाल, लोकायुक्त का कानून 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा में और 18 दिसंबर 2013 को लोकसभा में ऐसे दोनों सदनोंमें बहुमत से पारित हो गया। उसके बाद 1 जनवरी 2014 को महामहीम राष्ट्रपतीजीने इस कानून पर अपने हस्ताक्षर कर दिए थे।
लोकपाल और लोकायुक्त कानून बनते समय संसद के दोनो सदनों में विपक्ष की भूमिका निभा रहे आपकी पार्टी के नेताओं ने भी इस कानून को पुरा समर्थन दिया था। उसके बाद हुए चुनाओं में 26 मई 2014 को आपकी पार्टी की सरकार सत्तामें आयी। लोकपाल आंदोलन के बाद देश की जनता ने बडी उम्मीद से आपके नेतृत्व में नई सरकार को चुन कर दिया था। नई सरकार को प्रतीक्षित मुद्दों पर अमल करने के लिए पर्याप्त समय देना जरुरी था। ऐसा सोचकर मैने आपको याद दिलाने के लिए पिछले तीन साल में कई बार पत्र लिखा। लेकिन आपने कार्रवाई के तौर पर ना तो पत्र का जवाब दिया, ना ही अमल किया। ना कभी जनता के साथ संवाद करते समय और ना कभी मन की बात में लोकपाल और लोकायुक्त का जिक्र किया। सत्तामें आने से पहले आपने देश की जनता को ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण के लिए प्राथमिकता देंगे’ ऐसा आश्वासन दिया था। आज भी नया भारत बनाने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण करने का संकल्प करने हेतु आप बडे बडे विज्ञापन के माध्यम से जनता को संदेश दे रहे है। लेकिन आज भी हर राज्योंमें पैसा दिए बिना आम नागरिकों का काम नहीं होता, यह वास्तव हैं। याने जनता के जीवन के साथ जुडे हुए प्रश्नों पर भ्रष्टाचार बिलकूल कम नहीं हुआ हैं। जनता प्रतिदिन यह अनुभव कर रही हैं।
लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल होने से 50 से 60 प्रतिशत भ्रष्टाचार को रोकथाम लग सकती हैं। फिर भी आप इस कानून पर अमल नहीं कर रहे है। लोकपाल और लोकायुक्त कानून के साथ सिटिजन चार्टर बिल, The Prevention of Bribery of Foreign Public Officials and Officials of Public International Organization Bill 2011, Judicial Standards and Accountability Bill 2012, The Prevention of Money Laundering (Amendment) Bill, The Public Procurement Bill 2012 और व्हिसल ब्लोअर बिल यह सभी बिल भ्रष्टाचार को रोखनेवाले हैं और संसद में प्रतीक्षित है। तात्कालिक सरकारने यह सभी बिल लोकपाल आंदोलन के समय जनता की मांग पर संसद में लाये थे। लेकिन आप उसके बारे में ना कुछ बोलते है, ना कुछ करते है। फिर कैसे होगा भ्रष्टाचार मुक्त भारत ?
जनता में सिर्फ संकल्प करने सें नही बल्की कानुन के आधार पर उनके होथो में अधिकार दिये जाने से भ्रष्टाचार मुक्त भारत होगा। सुचना का अधिकार कानून इसका एक उदाहरण है । संसद में नेता विपक्ष ना होने के कारण लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ती नहीं कर सकते ऐसा आपकी सरकार का कहना है। वास्तविक लोकपाल, लोकायुक्त कानून में यह प्रावधान किया गया है कि, ‘लोकपाल चुनाव कमेटी में कोई पद रिक्त होने से अध्यक्ष अथवा सद्स्य इनकी नियुक्तीयाँ अवैध नहीं होगी।’ हैरानी की बात हैं की, कानून में स्पष्ट प्रावधान होते हुए भी आप 3 साल से लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ती नहीं कर रहे है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी आपकी सरकार को बार-बार फटकार लगाई है। जबकी एक तरफ सीबीआय प्रमुख की नियुक्ती नेता विपक्ष ना होते हुए भी आप करते है और लोकपाल के लिए विरोधी पक्ष नेता ना होने की बहानेबाजी हो रही है। एक प्रकार से आप जनभावना का और सर्वोच्च न्यायालय का अनादर कर रहें हैं। यह बडी दुख की बात है।
आश्चर्यजनक बात यह है कि, जिस राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं वहां तो नहीं लेकिन जिस राज्यों में आपके पार्टीकी सरकारे हैं वहां भी नये कानून के तहत लोकायुक्त नियुक्त नहीं किए गये हैं। इससे यह स्पष्ट होता है की आप के पास लोकपाल लोकायुक्त कानून पर अमल करने के लिये इच्छाशक्ति का अभाव है। आपके कथनी और करनी में अंतर पड रहा है। फिर कैसे होगा भ्रष्टाचारमुक्त भारत? जिस संसद ने देश के लाखो लोगों की मांग पर यह कानून बनवाया और राष्ट्रपतीजीने हस्ताक्षर किए फिर भी उस कानून पर अमल ना करना, क्या यह जनता, संसद और राष्ट्रपतीजी का अवमान नहीं है?
कृषिप्रधान भारत देश में किसान प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं। खेती पैदावारी में किसानों को लागत पर आधारित दाम मिले इसलिए मैंने कई बार पत्र लिखा था। लेकिन आपकी तरफ से ना कोई जबाब आया ना स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई। पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिळनाडू, आंध्र प्रदेश, तेलंगना, हरियाना, राजस्थान ऐसे विविध राज्यों में किसान संघठित हो कर आंदोलन कर रहें हैं। देश के किसानों के दुख के प्रति आपके दिल में कोई संवेदना नहीं हैं यह तीन साल से दिखाई दे रहा है। आप जितनी चिन्ता कम्पनी मालिक और उद्योगपतियों के बारे में करते दिख रहे हैं उतनी चिन्ता किसानों के बारे में नही करते। यह कृषिप्रधान भारत देश के लिए बडी दुर्भाग्यपूर्ण बात हैं।
हालही में आपकी सरकारने वित्त विधेयक 2017 को धन विधेयक के रुप में पेश करके राजनैतिक दलों को उद्योगपतियों द्वारा दिए जानेवाले चंदे की 7.5 प्रतिशत सीमा हटाई हैं। और कम्पनी जितना चाहे उतना दान राजनीतिक दल को दे सकती है, ऐसा प्रावधान किया है। जिससे लोकतंत्र नही बल्कि पार्टीतंत्र मजबूत होगा। वास्तविक रूप से अगर आपको किसान और गरिबों की इतनी चिन्ता होती तो आप इस कानून में संशोधन करके यह प्रावधान करते कि, कंपनियाँ जितना चाहे उतना दान राजनीतिक पार्टी को नहीं बल्कि गरीब और किसानों के लिए दे सकती है। अगर ऐसा होता तो लोकतंत्र मजबूत हो कर किसान और गरिबों को न्याय मिल जाता। लेकिन आपके अंदर गरीबों और किसानों के प्रति संवेदनशीलता नहीं है यह स्पष्ट होता है। अगर किसानों के स्थितीपर हल निकालना हैं तो स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट पर पुरी तरह से अमल होना, खेती पैदावारी को लागत पर आधारित दाम मिलना और किसानों तथा मजदुरों को आर्थिक सुरक्षा दिलाने के लिए प्रतिमाह पेन्शन योजना शुरू करने की जरुरत हैं।
राजनीतिक पार्टीयों को सूचना के अधिकार के दायरें में लाने की मांग जनता की ओर से कई सालों से हो रही हैं। मा. सुप्रिम कोर्ट ने भी सरकार को इस बारे में स्पष्ट निर्देश दिए थे। अगर आप वास्तव में पारदर्शिता की अपेक्षा करते हैं तो राजनैतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने का संशोधन करना भी जरुरी हैं।
भ्रष्टाचार को रोखने तथा सही लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सत्ता का विकेंद्रिकरण जरुरी हैं। इसके लिए जल, जंगल और जमिन को लेकर ग्रामसभा को अधिकार देनेवाला कानून बनना जरुरी हैं। उसके साथ राईट टू रिजेक्ट, राईट टू रिकॉल और महिलाओं को हर स्तर पर कानून के तहत सम्मानजनक अधिकार देनेवाले कानून भी आवश्यक हैं। सिर्फ जगह जगह पर पोस्टर लगाने से महिलाओं को सम्मान कैसे मिलेगा? लोगों के हाथ में अधिकार देने से जनसंसद मजबूत होगी। क्यों की लोकतंत्र में जनसंसद का स्थान सबसें उँचा है। अगर यह जनसंसद जाग गई तो लोकपाल और लोकायुक्त, किसानोंकी समस्या तथा सभी प्रतीक्षित मुद्दों पर निश्चितरूपसे हल निकलेगा ऐसा हमे विश्वास है।
इसके पहले 28 मार्च 2017 को मैने आपसे पत्र लिखा था कि, अगर लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अमल नही होता तो मेरा अगला पत्र दिल्ली में होनेवाले आंदोलन के बारें में होगा। उसी पत्र के मुताबिक मैंने समाज और देश की भलाई के लिये दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय लिया हैं।
35 साल से मै आंदोलन करते आया हूँ। लेकिन कभी किसी पक्ष और पार्टी या व्यक्ती के विरोध में आंदोलन नहीं किया हैं। सिर्फ समाज और देश के हित के लिए आंदोलन करते आया हूँ। 3 साल तक मैने आपकी सरकार को याद दिलाते हुए बार-बार पत्र लिखकर लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ती के लिए और किसानों को अपने खेती में पैदावारी के खर्चेपर आधारीत सही दाम मिले इसलिए लिखा था। लेकिन आपने उसका जवाबही नहीं दिया और कुछ भी कार्रवाई नही की। इसलिए अब मैने दिल्ली में आंदोलन करने का निर्णय लिया है। जब तक उपरोक्त मुद्दों पर जनहित में सही निर्णय और अमल नही होता तब तक मै मेरा आंदोलन दिल्ली में जारी रखुँगा । अगले पत्र में आंदोलन की तारीख तथा स्थल के बारे में अवगत किया जाएगा।
जय हिंद।
भवदीय,
कि. बा. तथा अन्ना हजारे
प्रतिलीप सूचनार्थ-
1) महामहीम राष्ट्रपतीजी, भारत सरकार, नई दिल्ली
2) मा. अध्यक्ष, लोकसभा, नई दिल्ली
3) मा. अध्यक्ष, राज्यसभा, नई दिल्ली
In English Letter to PM Modi-:
How long will wait? Not Lokpal but then movement…
Per,
Hon. Narendra Modi ji,
Prime Minister, government of India,
Rā’īsīnā Hill, new Delhi-110 011.
The Subject-Lokpal and lokayukta, the awaited corruption in the parliament to be the right decision on all empowered bills and taking farmers problems in Delhi to act in Delhi to act in Delhi.
Sir,
Corruption Free India was dreaming of August in August 2011 and there was a historical movement in the whole country. In the 27th August 2011, in the Indian Parliament of the Indian Parliament in the Indian Parliament was passed. In The Centre, in the centre, the lokayukta and siṭijhana were decided to make laws as soon as possible. After having written this rijyulēśana, the central government had postponed his movement on 28th August. In the minds of the people for corruption free India, a big hope of this historic event has completed six years. But today, even after six years, the corruption was not implemented at any law. I’m writing this letter to you.
After the arrival of your government in the 3 years, Lokpal and lokayukta on the niyuktī of Lokpal 28/08/2014, 18/10/2014, 01/01/2015, 01/01/2016, 19/01/2017, 28/03/2017, 28/03/2017, 28/03/2017, 28/03/2017 But you did not answer as an action from you. In the country there was anti-corruption prevention and lokayukta the people of the country had taken a peaceful movement. Then people in the country, in the country, the number of millions of people in the city, the city and the college youth had come down on the way. Because of corruption common people were going to live life hard. After Independence in the country, the first number of people had come down in the movement. This whole movement was from the way of non-violence. No one has picked up a stone. This non-violent movement of India was discussed in many countries of the world. Due to this movement of janaśaktī, 42 Government Lokpal, lokayukta the law was passed on 17th December, 2013 in Rajya Sabha and on 18th December 2013 in Lok Sabha. After that, on 1th January 2014, the mahāmahīma rāṣṭrapatījīnē had his signature on this law.
Lokpal and lokayukta, the leaders of your party were also supported by the role of the opposition in both the houses of Parliament. After him, on 26th may 2014, the government of your party was sattāmēṁ. After Lokpal movement, the people of the country had chosen the new government in your leadership. The new government was required to work on the most awaited issues. When I think I wrote a letter in the last three years to remind you. But you did not respond to an action, nor did it act. Don’t ever communicate with the public and not always mentioned the mind and lokayukta. Before you come to the people, you will give preference to the people of the country ‘corruption free India’. Even today to make a new india to make corruption free India, you are giving the message to the public through a big big ad. But even today, every rājyōmmēṁ money doesn’t work without ordinary citizens, it’s really. There is no less corruption on the people connected with the life of the people. People are experiencing this every day.
Lokpal and lokayukta will take effect from 50 to 60 per cent corruption in law. However, you are not working on this law. Lokpal and lokayukta, citizen’s Charter Bill, the prevention of foreign public and officials, Public International Organization Bill 2011, judicial and accountability Bill 2012, the prevention of money laundering (Amendment) Bill, the public Procurement Bill 2012 and whistle blower Bill, all the bills are rōkhanēvālē and is awaited in Parliament. Urgent Government, it was brought in the parliament on the demand of all the bill lokpal movement. But you don’t speak about him, don’t do something. Then how will corruption free India?
Not only in the public but the law will be freed from the law of the law. The right of information is an example of the law. In Parliament, the leaders are not the opposition to the opposition and the lokayukta can not be niyuktī. The Real Lokpal, lokayukta, lokayukta law has been given, the president or members will not be illegal by being empty in lokpal election committee. ‘ wonder ‘, there are a clear provision in law, and you don’t have 3 years to lokpal. The Supreme Court also has all your government repeatedly. While the niyuktī head of the sībī’āya head is not the opposition, you don’t have to be opposition and anti-opposition leaders. One type of janabhāvanā and disrespect the supreme court. It’s a big sad.
It is surprising that the state governments are not in the states but in the states, there are not been appointed as the case against the new law. This is clear to you to have a lack of power to act in lokpal lokayukta. Your actions are in a difference. How then will india be? The Parliament has built this law on demand for millions of people, and do not act on the law, whether it is not contempt of people, Parliament and rāṣṭrapatījī?
A farmers are committing suicide daily in India. In Agriculture, farmers got the cost based on the cost of farmers so I wrote several times. But from your side, no response did not come on. From last several days Maharashtra, Madhya Pradesh, tamiḷanāḍū, Andhra Pradesh, Telangana, hariyānā, Rajasthan are doing a movement by the kisan and farmer in various states. There are no condolences in your heart for the suffering of the country. It is from three years. You do not care about the care company owner and business. This a is a big unfortunate thing for India country.
Recently, your government has been removed 7.5 per cent range of funds and the political parties in the form of business as a money bill. And the company can give as much donations as much as the company can give. Not democracy, but it will be strong. If you were so worried about farmer and garibōṁ, you would have made it in the law by amending the law that the companies may not donate as much as the political party but for poor and farmers. If this happens, democracy is strong and get justice. But you don’t have sensitivity to poor and farmers. It is clear. If you are removing the farmers solution, the report of the svāmināthana commission has to be fully implemented, the cost of agriculture will cost the cost of getting the cost of the cost and farmers and farmers.
The demand for political pārṭīyōṁ is getting from the public for many years. Hon. Suprima court also gave clear instructions about the government. If you really expect transparency, political parties are also necessary to amend the rights of the information.
Corruption is necessary to strengthen the corruption and strong democracy to strengthen the right democracy. It is necessary to do gramsabha to gramsabha gramsabha, forest and jamina. With him right to reject, right to recall and women are also required to give respect to the law under law on every level. Just how to get a poster at the place? It will be stronger than the rights of people in the hands of the people. Why is the place of the janasansada is the most famous If this janasansada wake up, Lokpal and lokayukta, kisānōṅkī problem and niścitarūpasē solution will come to us.
Before This 28th March 2017 I wrote letter to you, if lokpal and lokayukta is not implemented on the law, my next letter will be about the movement in Delhi. According to the same letter I decided to have movement in Delhi for the welfare of society and country.
Since 35 years I have movement. But never have a movement in opposition to a party and party or person. Just had movement for the interest of society and country. Till 3 years I remind you of your government repeatedly and lokayukta lokpal and lokayukta niyuktī for niyuktī and farmers have found the right price in their harvest. Written. But you didn’t give him his javābahī and don’t take any action. So now I decided to have movement in Delhi. As long as I don’t have proper decision and work on the above issues, I will continue to release my movement in Delhi. The next letter will be informed about the date of movement and venue.
Jai hind.
Sincerely,
That. Ba. And Anna Hazare
Pratilīpa Information:
1) Mahāmahīma Rāṣṭrapatījī, govt of India, new delhi
2) ma. President, Lok Sabha, new delhi
3) ma. President, Rajya Sabha, new delhi