Modi: Lead country not on wrong path
Prime Minister Narendra Modi has said, he will not lead the country on a wrong path as followed by the previous governments.
He accused the previous governments of yielding to pressure from various lobbies including diesel and petrol ones.
He was addressing a public meeting at Davangere in Karnataka yesterday as part of ‘Vikas Parv’ to mark the completion of two years of BJP led NDA government.
Mr Modi said, his government’s programmes are meant mostly to benefit the poor, farmers and common man.
The Prime Minister said, he is determined to end the role of middlemen to curb corruption and malpractices.
Mr Modi said, his government will eliminate middlemen in the farming sector so that farmers could get remunerative price of their produce.
He said, the initiatives taken by his government is for the betterment of the common man.
Mr Modi said, his government has taken up progressive programmes in various directions which may not be visible but will ensure all round development of the country and benefit the people.
He referred to various schemes of the NDA government that helped the farmers and rural areas and also for skill development of the people so that they could be gainfully employed.
The Prime Minister said, his government has during the last two years taken up developmental works which have not been taken up during the last 60 years.
Mr Modi said, the aim of this government is to double the income of farmers by 2022. He said, Krishi Sichai Yojana, Fasal Bima Yojana, Soil Health card, E-Mandi and Jan Dhan Yojana are aimed at eliminating middlemen and raising farmers’ income.
The Prime Minister said, the people of the country were burdened with a massive load of laws and legislations and during his two year tenure, he has abolished nearly 1200 laws and legislations that were unnecessary.
Jethmalani files nomination papers for RS election
Bihar, daughter of Mr Lalu Prasad, Misa Bharti and renowned lawyer Ram Jethmalani today filed their nomination papers from RJD.
Earlier, Mr Ram Jethmalani took membership of Rashtriya Janata Dal. Former JDU National President Sharad Yadav and sitting JDU Rajya Sabha Member R.C.P.Singh also filed their nomination papers.
BJP has nominated the former state BJP President Gopal Narayan Singh for Rajya Sabhe election.
She’s going to be great, Naresh
Naresh —
Even making allowances for my admitted bias, I can’t think of any candidate more qualified to be president than Hillary. She’s going to be great, Naresh, and supporting her in this primary is the right choice. I’m proud of the campaign Hillary has run.
Of course, being right doesn’t amount to a hill of beans if we don’t also do the hard work that it takes to win. Which is why I’m asking you to chip in to build a strong organization on the ground right now, when it matters most — and before it’s too late.
The campaign has a fundraising deadline coming up at midnight on Tuesday. Hillary’s staring down a tough general election and we need to be ready to take on whatever comes our way. The campaign needs 16 more donors from your area to step up today to hit our goal — will you chip in before the deadline to claim your free sticker and show Hillary you’re with her?
Bill
Make sure you’re counted:
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Trump polls miserably among Asian Americans
The Asian news Daily
A well in drought, chosen by instinct, praying to God, man digging for 40 days; water found, he invited all, some who mocked him
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WcP Blog
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worldculturepictorial.com – 05/11/2016 HuffingtonPost chosen by instinct, prayed to God: 40 days digging a well during drought After his wife was denied water, man spent 40 days digging a well during drought http://huff.to/1Y…
Liberman appointment as defense minister
Israeli cabinet on Monday approved the appointment of Avigdor Liberman as the defense minister, the Office of the Prime Minister said. Ministerial appointments of Sofa Landver and Tzachi Hanegbi were also approved. The post of the defense minister was Lieberman’s condition for his party, Yisrael Beiteinu, to join Benjamin Netanyahu’s governing coalition. It has now increased the number of seats in the 120-seat parliament from 61 to 66.
GAIL ‘spuds’ another exploratory well in Cambay Basin
GAIL ‘spuds’ another exploratory well in Cambay Basin
New Delhi, May 30, 2016: GAIL (India) Limited has started drilling its second Exploratory Well as Operator in the NELP-IX Block CB-ONN-2010/11 in Cambay Basin. The well is situated in Nabhoi Village, in Tarapur Tehsil of Anand District in Gujarat and the “spudding” operations started on May 27, 2016. The first well was spud in this block on March 27, 2016. Drilling of target depth of 2200 meters of this well is scheduled to be completed in 30 to 35 days.
GAIL is the Lead Operator of the block with 25% participating interest. Other partners in this block are Bharat Petro Resources Limited (BPRL), Engineers India Limited (EIL), Monnet Ispat Energy Ltd. (MIEL) and Bharat Forge Infrastructure Limited (BFIL). The consortium will drill eight exploratory wells in the initial Exploration Phase as per minimum work commitment of Production Sharing Contract (PSC).
Meditation on Nation
राष्ट्र-चिंतन
वीर सावरकर की जयंती 28 मई पर विशेष
इतिहास के सर्वाधिक उपेक्षित योद्धा ‘‘ वीर सावरकर ‘‘
विष्णुगुप्त
भारतीय आजादी के आंदोलन के इतिहास को अगर आप खंगालेंगे और स्वतंत्र विश्लेषण करेंगे तो निश्चित तौर पर वीर विनायक दामोदर सावरकर एक अतुलनीय नायक के तौर पर सामने आते हैं। वीर सावरकर एक ऐसे नायक थे जिन्होंने न केवल खुद यातनाएं झेली बल्कि उनके पूरे परिवार ने भी यातनाएं झेली थी। उनकी आजादी की दिवानगी सिर्फ देश के अंदर ही नहीं, बल्कि विदेशों तक गूंजी थी। ब्रिटेन से लेकर फ्रांस तक और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय तक गुजी थी। वीर विनायक दामोदर सावरकर परतंत्र भारत के पहले व्यक्ति थे जिन पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चला था। यद्यपि वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा हार गये थे और उपनिवेशकारी, परतंत्रता को हथकंडा बना कर प्राकृतिक संसाधनों को लुटने वाले, गैर ईसाइयत की संस्कृति को लहूलुहान करने वाले, गैर ईसाइयत की संस्कृति को जमींदोज करने वाले अंग्रेजों की जीत हुई थी। आखिर क्यों? इसलिए कि भारत एक परतंत्र राष्ट्र था। वीर सावरकर के लिए कोई दमदार वकील मुकदमा नहीं लड़ा था और उस समय की विश्व व्यवस्था पर ब्रिटेन की पकड़ और चौधराहट भी उल्लेखनीय थी। ब्रिटेन की इसी चौधराहट और उपनिवेशवादी हथकंडे के खिलाफ हिटलरशाही पनपी थी और दुनिया ने इसकी परिणति दूसरे विश्वयुद्ध के तौर पर देखी-झेली थी। यह भी सही है कि हमारी आजादी , जो सुनिश्चित हुई थी, वह सिर्फ गांधी के अहिंसावाद से नहीं मिली थी बल्कि हिटलरशाही से उत्पन्न दूसरे विश्वयुद्ध का भी उसमें महत्वपूर्ण योगदान था। दूसरे विश्वयुद्ध में ब्रिटेन आर्थिक-सामरिक ही नहीं बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी कमजोर हो गया था। दूसरे विश्वयुद्ध का विजेता अमेरिका ने ब्रिटेन को भारत सहित अन्य देशों से भी उपनिवेशवाद का साम्राज्य समाप्त करने का निर्णायक फैसला सुना दिया था।
वीर सावरकर जब एक अतुलनीय नायक थे तब उन्हें इतिहास में पर्याप्त जगह क्यों नही मिली? महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह और सरकार पटेल की तरह वीर सावरकर को आजादी के इतिहास के पन्नों पर जगह क्यों नहीं मिली? अब तक की सरकारों ने इतिहासकारों की गलतियों को सुधारने की कोशिशें क्यों नहीं की? वीर सावरकर के योगदानों को लेकर नये सिरे से इतिहास लेखन को सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया? वीर सावरकर की यातना भूमि सेलुलर जेल को तीर्थस्थल में बदलने की कोशिशें क्यों नहीं हुई? वीर सावरकर को लेकर वामपंथी जमातों और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों में रही दुर्भावनाओं के पीछे कारण क्या हैं? क्या सही में वीर सावरकर पहले जवाहर लाल नेहरू की तुष्टिकरण की नीति के शिकार हुए और उसके बाद तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की परसुप्रभुत्ता के प्रेम की भेंट चढ़ गये,? क्या देश की वर्तमान पीढी के बीच में वीर सावरकर के संघर्ष और बलिदान को नये सिरे से नहीं रखा जाना चाहिए? सही तो यह है कि वीर सावरकर परसंप्रभुत्ता की राजनीति करने वाले दलो और आयातित संस्कृति के जेहादियों की साजिश के शिकार हो गये। कांग्रेस, वामपंथी जमात और पिछड़ी राजनीति के खलनायक अगर वीर सावरकर के योगदानों को स्वीकार कर उन्हें अतुलनीय नायक मान लेंगे तो फिर उनकी मुस्लिम वोट की सौदागरी हवा-हवाई हो जायेगी, फिर इनके सत्ता तक पहुंचने के मुस्लिम प्यार का क्या होगा?
स्वतंत्र इतिहास लेखन होता, स्वतंत्र मूल्यांकन होता, हमारी सत्ता राजनीति निष्पक्ष होती, सत्ता राजनीति पर परसप्रभुत्ता और आयातित संस्कृति प्रेम हावी नहीं होता तो निश्चित तौर पर गांधी, भगत सिंह, सुभाषचन्द्र बोस जैसी ही उन्हें भी इतिहास में जगह मिलती। जितनी यातनाएं वीर सावरकर ने झेली है, उतनी यातनाएं आजादी के आंदोलन में शायद ही किसी स्वतंत्रता सेनानी ने झेली होगी। तथ्य यह भी है कि अंग्रेजों के खिलाफ बगावत और अंग्रेजी शासन को चुनौती देने वाले कार्यक्रमों की एक लंबी फेहरिस्त है। 1904 से लेकर 1966 तक उन्होंने अपराजित योद्धा की तरह अपने आप को सक्रिय रखा था। 1904 में वे कानून पढ़ने लंदन गये थे। पर लंदन जाने के पूर्व उनके अंदर में देश की आजादी के अंकुर फूट चुके थे। उन्हें यह बर्दाश्त नहीं था कि वे लंदन में एक परतंत्र देश के नागरिक के तौर पर दंश झेलते रहे। उन्होने कानून की पढ़ाई को सिर्फ प्रतिकात्मक बनाया, जीवन का असली मकसद तो देश को आजाद कराना ही था। उन्होंने अभिनव भारत नाम की एक सस्था बनायी थी।बंग भंग आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की आर्थिक ताकत तोड़ने के लिए विदेशी वस्त्रों की होली जलायी थी। ब्रिटेन में भारतियों को एकता के सूत्र में बांध कर उनमें आजादी की लौ जलायी थी। मदन लाल धीगंरा जैसे वीर और बलिदानी देशभक्त तैयार किये थे, जिन्होंने कातिल अंग्रेज अफसर की हत्या कर ब्रिटेन के उपनिवेशवाद को दुनिया भर में नंगा कर दिया था। अंग्रेजों को वीर सावरकर की यह बलिदानी गाथा, अदम्य साहस और अतुलनीय संघर्ष कैसे बर्दाश्त हो सकता था? उनकी पहली गिरफ्तारी ब्रिटेन में हुई पर वे अदम्य साहस दिखाते हुए अंग्रेजों के चंगुल से भाग निकले। दुर्भाग्यवश फ्रांस की समुद्री सीमा के अंदर उनकी अनाधिकार गिरफ्तारी हुई। ब्रिटेन में हिंसा फैलाने की साजिश और महाराष्ट्र के नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के खिलाफ इन्हें काले पानी की सजा हुई और इन्हें उत्पीड़न के लिए कुख्यात सेलुलर जेल भेज दिया गया। सेलुलर जेल की उत्पीड़न की कहानी दुनिया भर को ज्ञात है। यहां पर आजादी के दिवानों के साथ पशुवत व्यवहार होता था, स्वतंत्रता सेनानियों को कोल्हू में जोता जाता था, स्वतंत्रता सेनानियों को खाना भी नाम मात्र ही मिलता था। सेलुलर जेल में विरोध की सजा बेत और कोड़ों की पिटाई से मिलती थी। 1911 से लेकर 1921 तक वे सेलुलर जेल में अंग्रेजों की यातनाएं झेलते रहे।
वीर सावरकर के साथ कई विशेषताएं जुड़ी हुई थी। वे न केवल अतुलनीय स्वतंत्रता सेनानी थे, अदम्य साहस और अदम्य संघर्ष के पुरोधा थे बल्कि वे एक अच्छे इतिहासकार थे, अच्छे उपन्यासकार थे, अच्छे विचारक भी थे। उनकी लिखी हुई इतिहास की पुस्तकें, उपन्यास इस बात की गवाही देती है। उन्होंने ही 1857 की क्रांति को आजादी के आंदोलन का पहला संग्राम बताया था। उनकी पुस्तकों और विचारों को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित करने के लिए कई कदम उठाये थे। 1921 मे सेलुलर जेल से रिहा होने के बाद इनका संघर्ष क्रियात्मकता व रचनात्मकता में बदल गया। वास्तव में वीर सावरकर अंग्रेजों से ज्यादा महात्मा गांधी, कांग्रेस और मुस्लिम लीग की विभाजनकारी नीतियों से परेशान थे। उन्हें यह लगा कि आततायी अंग्रेजों और मुस्लिम साम्राज्य से मुक्ति का जो संघर्ष उन्होंने शुरू किया था वह पूरा होने वाला नहीं है, क्योंकि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति से अंखड भारत खंड-खंड हो जायेगा। उनकी यह सोच सही निकली। कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति का दुष्परिणाम यह निकला कि धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी के बीच विखंडनकारी सोच उत्पन्न होने लगी। मुस्लिम आबादी की पार्टी मुस्लिम लीग अपने लिए अलग देश की मांग करने लगी। मशहूर शायर इकबाल ने दो देशों की थ्योरी दे दी थी और पाकिस्तान नामक अलग देश की परिकल्पना भी पेश कर दी थी। अंग्रेज भी विभाजन की नीति पर चल रहे थे। अंग्रेजों की नीति फूट डालों और शासन करो की थी। अंग्रेज यह चाहते थे कि भारत कभी भी एक सबल और आत्म निर्भर देश के रूप में दुनिया के सामने न आये। इसीलिए अंग्रजो ने पाकिस्तान नामक अलग देश के लिए मुस्लिम आबादी को भड़काया भी था। 1940 के पूर्व देश भर में जगह-जगह दंगे भी हुए थे, उन दंगों में मुस्लिम आबादी की आततायी सोच सामने आयी। फिर भी कांग्रेस दंगों में मुस्लिम आबादी की पक्षधर बनी रही थी।
वीर सावरकर का अखंड भारत का सपना टूट चुका था। हिन्दू राष्ट्र की उनकी परिकल्पना धाराशायी हो चुकी थी। यही कारण था कि वे आजादी के आंदोलन के अतिम दौर उदासीन बन चुके थे। उन्होंने हिन्दू संस्कृति के संरक्षण का बीड़ा उठाया। इसी दौरान उनकी भेंट राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक डा केशव बलिराम हेडगवार से हुई। जब दोनों महापुरूषों की भेंट हुई तब अखंड भारत के लिए नये सिरे से योजना बनी, संघर्ष की नयी संस्कृति खोजी गयी, कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के खिलाफ देश भर में जागरूकता का नया दौर शुरू किया गया। दोनों महापुरूष एक-दूसरे के प्रेरणा केन्द्र बने रहे। 1937 में वीर सावरकर हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने। हिन्दू महासभा के अध्यक्ष के तौर पर वीर सावरकर ने हिन्दू का एकत्रीकरण और हिन्दुओं के सैनिकीकरण का सिद्धांत दिया था। सावरकर का मत था कि जिस प्रकार से मुस्लिम आततायियों का बर्चस्व बढ रहा है उसके मुकाबले के लिए हिन्दुओं का सैनिकीकरण जरूरी है। उन्होंने हिन्दुत्व को जागृत करने वाले कई ग्रंथ भी लिखे जो आज भी प्रांसगिक हैं।
सबसे बडी बात यह है वीर सावरकर हिन्दू धर्म में जातिवाद के खिलाफ थे। उन्होंने महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध मंदिर में दलित पूजारी की नियुक्ति करायी थी। वे कहते थे कि जातिवाद के कारण ही हिन्दू धर्म अब तक पराजित होता रहा है। उनकी यह सोच कालजयी थी। आज के समय में भी हिन्दू धर्म के अंदर जातिवाद एक बडी समस्या है और यह समस्या हिन्दू धर्म की जड़ें खोदती रही है। आज जरूरत इस बात की है कि देश की राष्ट्रवादी सरकार वीर सावरकर के अतुलनीय योगदानों पर इतिहास का लेखन करे ताकि नयी पीढ़ी के बीच वीर सावरकर के मूल संस्कृतिनिष्ठ विचारों का प्रसार किया जा सके।