SP: BJP MUST TAKE INTEREST IN UP DEVELOPMENT
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश से लोकसभा में भाजपा के सर्वाधिक संसद चुनकर गए है और केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में भी उनका अच्छा प्रतिनिधित्व है। ये सभी जनता द्वारा निर्वाचित है। इसलिए उनका दायित्व बनता है कि वे प्रदेश की समस्याओं के हल में रूचि लें और केन्द्र पर दबाव डालकर विकास परियोजनाओं को पूरा कराएं। किन्तु खेद है कि भाजपा के सांसद और मंत्री इस मामले में चुप्पी साधे हैं। केन्द्र प्रदेश के साथ सौतेलापन का व्यवहार कर रही है।
प्रदेश में बिजली संकट के लिए केन्द्र की पिछली यूपीए सरकार के साथ राज्य की बसपा सरकार भी जिम्मेदार है। मायाराज में एक मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ बल्कि कर्ज से खरीदी गई बिजली का 25 हजार करोड़ का बिल भुगतान के लिए विरासत में मिला। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने शपथ लेने के दिन से ही प्रदेश के लिए विकास का एक एजेण्डा तय किया और उस पर तेजी से अमल शुरू किया। प्रदेश में बिजली उत्पादन की दिशा में कई निर्णय लिए गए।
प्रदेश की समाजवादी सरकार को आशा थी कि केन्द्र की भाजपा सरकार राज्य को बिजली संकट से निजात दिलाने में मदद करेगी लेकिन यह आशा वैसे ही निराशा में बदल गई जैसे अच्छे दिन की उम्मीद का हश्र हुआ है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने लगातार कई पत्र लिखकर प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय ऊर्जामंत्री से प्रदेश केा आबादी के अनुपात में कोटे के मुताबिक बिजली देने और कोयले की समय से आपूर्ति करने की मांग की। लेकिन राज्य सरकार को कोई मदद नहीं मिली। उल्टे प्रदेश सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया।
मुख्यमंत्री जी केन्द्र सरकार को चेता चुके हैं कि यदि तत्काल कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो सरकारी विद्युतगृहों से उत्पादन ठप्प हो जाएगा। प्रदेश को बिजली की किल्लत से उबारने के लिए अभी पावर कारपोरेशन इनर्जी एक्सचेंज के तहत 11 करोड़ रूपए प्रतिदिन के हिसाब से 26 मिलयन यूनिट की खरीदारी करने को मजबूर है।
केन्द्र सरकार को जनहित में अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। यदि केन्द्रीय कोटे की बिजली मिलने लगे और समय से कोयले की आपूर्ति हो तो प्रदेश बिजली की समस्या का स्वतः समाधान कर सकने में समर्थ है। वैसे राज्य सरकार लाइन हानियां घटाने, वर्तमान में स्थापित 1233 उपकेन्द्रो में भी 4646 एमवीए की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है। विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण कार्यो को निर्धारित अवधि में पूरा किया जाना है। इससे जल्द ही बिजली संकट से राहत मिलने की उम्मीद है।
(राजेन्द्र चौधरी)
प्रदेश प्रवक्ता
प्रदेश में बिजली संकट के लिए केन्द्र की पिछली यूपीए सरकार के साथ राज्य की बसपा सरकार भी जिम्मेदार है। मायाराज में एक मेगावाट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ बल्कि कर्ज से खरीदी गई बिजली का 25 हजार करोड़ का बिल भुगतान के लिए विरासत में मिला। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने शपथ लेने के दिन से ही प्रदेश के लिए विकास का एक एजेण्डा तय किया और उस पर तेजी से अमल शुरू किया। प्रदेश में बिजली उत्पादन की दिशा में कई निर्णय लिए गए।
प्रदेश की समाजवादी सरकार को आशा थी कि केन्द्र की भाजपा सरकार राज्य को बिजली संकट से निजात दिलाने में मदद करेगी लेकिन यह आशा वैसे ही निराशा में बदल गई जैसे अच्छे दिन की उम्मीद का हश्र हुआ है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने लगातार कई पत्र लिखकर प्रधानमंत्री एवं केन्द्रीय ऊर्जामंत्री से प्रदेश केा आबादी के अनुपात में कोटे के मुताबिक बिजली देने और कोयले की समय से आपूर्ति करने की मांग की। लेकिन राज्य सरकार को कोई मदद नहीं मिली। उल्टे प्रदेश सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया गया।
मुख्यमंत्री जी केन्द्र सरकार को चेता चुके हैं कि यदि तत्काल कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो सरकारी विद्युतगृहों से उत्पादन ठप्प हो जाएगा। प्रदेश को बिजली की किल्लत से उबारने के लिए अभी पावर कारपोरेशन इनर्जी एक्सचेंज के तहत 11 करोड़ रूपए प्रतिदिन के हिसाब से 26 मिलयन यूनिट की खरीदारी करने को मजबूर है।
केन्द्र सरकार को जनहित में अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। यदि केन्द्रीय कोटे की बिजली मिलने लगे और समय से कोयले की आपूर्ति हो तो प्रदेश बिजली की समस्या का स्वतः समाधान कर सकने में समर्थ है। वैसे राज्य सरकार लाइन हानियां घटाने, वर्तमान में स्थापित 1233 उपकेन्द्रो में भी 4646 एमवीए की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है। विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण कार्यो को निर्धारित अवधि में पूरा किया जाना है। इससे जल्द ही बिजली संकट से राहत मिलने की उम्मीद है।
(राजेन्द्र चौधरी)
प्रदेश प्रवक्ता
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