आचार्य श्री महाश्रमण ने दो मुमुक्षुओं को दिलवाई दीक्षा
नई
दिल्ली,
19 जून, 2014।
आचार्य श्रीमहाश्रमण के पावन सानिध्य में नई दिल्ली के
खचाखच भरे यमुना क्रीडा स्थल टी.टी इन्डौर स्टेडियम में दीक्षा समारोह का भव्य
आयोजन हुआ। अपनी सशक्त अभिव्यक्ति में मुमुक्षु नमन एवं जयश ने कहा कि इस संसार
में रहते हुए हमारे द्वारा प्राणिमात्र को कष्ट न हो, हम आत्मा कल्याण के साथ-साथ धर्म संध व मानवता की सेवा कर
सके। इसलिए हम अपना घर परिवार छोड़कर आचार्य श्रीमहाश्रमण की शरण में आए है।
आचार्य प्रवर ने मुमुक्षुओं की विभिन्न तरीकों से परीक्षा
लेते हुए हा कि दीक्षा कोई नानी का घर नहीं है। दस वर्ष बाद भी ले सकते हो-एक बार
पुनः सोच लो। तब पूर्ण दृढ़ता से नमन व जयश बोले कि हमने दो वर्ष इंतजार कर लिया।
अब कितना और करे। आप हमें शीघ्र अपनी शरण में ले ले। इस प्रकार कसौटी पर खरे उतरे
मुमुक्षु द्वय को आचार्य प्रवर ने यावज्जीवन के लिए दीक्षा का प्रत्याख्यान करवाया, फिर नमोत्थुण का उच्चारण किया। ’कैशलोच‘ संस्कार
के पश्चात रजोहरण प्रदान संस्कार सम्पन्न करते हुए आचार्य प्रवर ने दोनों बालकों
को ज्ञान दर्शन चरित्र एवं तप के क्षेत्र में उत्तरोत्तर विकास की मंगल कामना की।
इस प्रकार जीवन पर्यन्त के लिए गृह परित्याग करके नमन डागा (मुनि नयन) एवं जयश
बरलौटा। (मुनि जयश) बन गये।
इस अवसर पर साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा जी ने कहा कि जीव को
अनन्त काल की यात्रा में वह क्षण बहुत महत्वपूर्ण होता है, जब व्यक्ति सर्व विरत्तिका त्याग करके संयम पथ पर आरूढ़ होता
हैं। जयेश ओर मनन के जीवन का वह महत्वपूर्ण क्षण आज है। दीक्षा समारोह में मंत्री
मुनि श्री ने कहा कि आत्मशक्ति सम्पन्न व्यक्ति ही संयम पथ पर बढ़ते है। उन्होंने
कहा कि बाल मुनि नमन व जयश अभिनिष्क्रमण कर आत्मकल्याण के पथ पर आगे बढे़ और
दूसरों के लिए भी आध्यात्मिक उत्प्रेरक बने।
समारोह में आचार्य श्रीमहाश्रमण ने समस्त समाज नशामुक्त
होने का आह्वान किया। उनकी एक आवाज पर हजारों लोगों ने एक साथ खड़े होकर नशामुक्त
रहने का संकल्प किया। आचार्य श्रीमहाश्रमण ने गृहस्थ जीवन में संयम हेतु जनमेदिनी
की प्रेरणा दी। श्री पारस बोथा ने एक्कीस दिन की एवं इंजीनियर युवक वतनलूनिया ने
आठ दिन की निराहार तपस्या का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि
श्री दिनेश कुमार जी ने किया।
इस मौके पर स्थानक वासी संप्रदाय के उपाध्याय रविन्द्र मुनि
जी अन्य साधु साध्वी वर्ग विशेष रूप उपस्थित थे। आचार्य तुलसी शताब्दी वर्ष और
आचार्य महाश्रमण के दिल्ली में चातुर्मास के उपलक्ष्य में सभी धर्म एवं समाज के
लोग भारी उत्साह के साथ मुनि वर्ग के स्वागत में जुटे है।
मुनि वर्ग के दीक्षाओं के फौलादी संकल्प की सराहना करते हुए
आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
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