Monday, September 16, 2013

हर मां का आंसू एक है! हिंसा नही! कभी नही! कहीं नही!

शंाति पहल व जनआंदोलनो का राष्ट्रीय समंवय मुज्ज़फरनगर में हुई हिंसा में मारे गये सभी इंसानों के लिये अपना दुःख व्यक्त करते है। हम मानते है कि जो हुआ उसके लिये हम सब जिम्मेदार है। पर हमें अब सब संभालना होगा! हमारा मानना है कि यह समय एक दूसरे को इल्जाम देने का नहीं वरन् हर एक का दर्द समझने का है।   
दंगाईयों को सजा मिले पर मांओ की कोख क्यों सूनी होगरीब की रोटी क्यों छीनेदेश में कानून हैव्यवस्था है। माना की कमियंा जरुर होंगी पर हम सब इसी के साये में साथ में जीते है। आज किसी की गलती के कारण हमारे खुशगवार मौसम में काले साये छा गये। कितनी ही मांये गीली आंखों से विरानों में ताकती है। गांव गमगीन हो गये। चूल्हे खाली। हर तरफ अपवाहेंडर। क्यों?
 जो हुआ उसकी भरपाई नही हो सकती पर जो बचा है क्या उसे भी गंवाना हैनही हमें सब संभालना है। इस मिट्टी ने हमें साथ-साथ रहना जीना सिखाया है। किसी के बहकावे मंे नही आना है। हम कब तक ऐसे रह सकते हैगांव खाली और लोग खेतों में छिपे है। त्योहारों का मौसम है। हमने ईद मनाई है दिवाली मनानी है। बकराईद मनानी है। ऐसे लड़-लड़कर कब तक जीयेंगे। जिनके साथ रहते है वो भला पराये कैसे हो गयेरोजमर्रा की जिंदगी में तो पड़ौसी ही काम आते है।
 जिस तरह की सोच पनपाई जा रही हैजो माहौल बनाया जा रहा हैवह शांति और भाईचारे और विकास के लिए खतरनाक है। लोगों को फिरकों और सम्प्रदायों में ही बंाटा जा रहा है। जिससे लोग नफरत की आग में जलने को मजबूर हैं। हालात को सुधारने के लिए हमें खुद आगे आना होगा। लोगों को शांति और सद्भाव को कायम रखने का प्रयास करना ही होगा। जमीनी स्तर पर जब लोग एक दूसरे को समझने लगेंगें और उनके आपसी रिश्तेे मजबूत होंगे तो उन्हें कोई आपस में लड़ाने में कामयाब नहीं हो सकेगा। हम चुनाव की फसल क्यों बने! गरीबी-बेरोजगारी-जल-जंगल-जमीन खोते किसान-आदिवासी-मानवाधिकार-बर्बाद होता पर्यावरण शहरी गरीब आदि मुद्दों का हल खोज ना जरुरी है ना की कत्लेआम!

जरुरत मिल-बैठकर एक दूसरे को समझने और समझाने की है। हमारे उत्तर-प्रदेश में रहने वाले करोड़ों लोग धर्मसंस्कृतिराजनैतिक विचारभाषास्थानीय जरूरत वगैरह के मुताबिक विभिन्नताओं में रहते आये है। हमारी रोजी-रोटीव्यापारखेती व्यवसाय सब आपस में कहीं जुड़ा है।

हमें इस अंधेरे में ही कोई रास्ता निकालना होगा। शंाति का संदेश फैलाना होगा। इसी सोच के साथ आज साथियों ने मुज्ज़फरनगर के कोतवाली से कचहरी-मीनाक्षी चौक-खालापार में पर्चे बांटे। शांति की बात की जिसे लोगो ने सराहा और माना की आज इस तरह के कदम उठाने की जरुरत है। खालापार की गलियांे में घूमने के बाद मस्जिद कुम्हारान के बाहर एक नुक्कड़ सभा भी हुई। नमाज़ियों का कहना था की गलियों में गंदगी हो रही है। हमारे मौहल्लों में जाने का डर फैलाया जा रहा है। इसे दूर करना होगा। लोगो ने शांति पहल का स्वागत व समर्थन किया।
हम साथी शहर के विभिन्न तबको के समाजकर्मियों के पास जाकर भी मिले। जिन्होने साथ मंे आने का फैसला किया है। यह सिलसिला जारी रहेगा।
यह तय किया गया की 16 सितंबर को मुज्ज़फरनगर में पीस लाईब्रेरी पर हम सुबह 9 बजे से शाम ़6.30 तक उपवास/रोज़े पर बैठेगें। हमारी सबसे अपील है कि वे इस शंाति पहल में शामिल हो।
 
मौअमीर अंसारी             सीएमयादव                    विमल

-- 
===============================================
National Alliance of People’s MovementsNational Office : 6/6, Jangpura B, Mathura Road, New Delhi 110014
Phone : 011 26241167 / 24354737 Mobile : 09818905316
Web : www.napm-india.org
Twitter : @napmindia

No comments:

Post a Comment

Competitiveness, climate, security Finn’s priorities Ministry of Finance release Finnish road map of EU presidency. Finland i...