Tuesday, December 25, 2012

आम आदमी पार्टी का आह्वान, अंहिसक आंदोलन से ही मिलेगा समाधान,
आंदोलन को खत्म करने के लिए पुलिस कर रही है साजिश

दिल्ली, 24 दिसंबर. सरकार और दिल्ली पुलिस दोनों मिलकर यह साबित करने की कोशिश में जुटे हैं कि इंडिया गेट और राजपथ पर अपने गुस्से का इजहार करने आई जनता, हिंसक इरादों के साथ आई थी न कि बलात्कार की शिकार लड़की के लिए इंसाफ मांगने. दो दिन तक सड़कों पर उतरे लाखों लोगों में गुस्सा था लेकिन सभी शांतिपूर्वक अपने गुस्से का इजहार कर रहे थे. हालांकि कुछ लोगों ने पत्थर फेंकने या गाड़ियों के शीशे तोड़ने जैसी हरकतें कीं. हमारा मानना है कि ये जानबूझकर हिंसा फैलाने के लिए भेजे गए लोग थे और लाखों लोगों के सामने मुश्किल से दर्जनभर ऐसे लोगों की उपस्थिति से आंदोलन हिंसक नहीं हो जाता. पुलिस ऐसे लोगों को तो पकड़ने में नाकाम रही लेकिन अपनी बर्बर कार्रवाई को सही ठहराने के लिए उसने ऐसे निर्दोष लोगों को पकड़ा जिनका इंडिया गेट पर हुई हिंसक घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं था. पुलिस ने जिन लोगों को पकड़ा उनमें से कुछ तो आंदोलन में शामिल भी नहीं थे.

हैदराबाद हाउस के सामने चल रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कुछ लोगों को उठाया. उनमें से एक चमन भी थे. चमन के साथ धरे गए दूसरे लोग भाग निकले लेकिन चमन भागे नहीं. पुलिस ने जिन आठ लोगों को हिंसा में आरोपी बनाया है उनमें से 2 लोगों को तो पुलिस ने बाराखंभा से उठाया जहां कोई प्रदर्शन हो ही नहीं रहा था. एक व्यक्ति को तिलक मार्ग से उठाया गया. तिलक मार्ग पर कोई हिंसा हुई ही नहीं बल्कि तिलक मार्ग का प्रयोग तो लोग इंडिया गेट पहुंचने के लिए कर रहे थे.

कल देर रात तक जब लोगों को पुलिस ने रिहा नहीं किया तो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता गिरफ्तार लोगों के बारे में जानने के लिए तिलक मार्ग थाने पहुंचे. वहां पता चला कि चमन समेत आठ लोगों को पुलिस ने नाहक बंद कर रखा है. पुलिस ने शुरू में तो कहा कि इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. इन्हें थोड़ी देर में रिहा कर दिया जाएगा लेकिन देर रात पता चला कि पुलिस इंडिया गेट पर हुई हिंसा की बौखलाहट इन पर निकालने की तैयारी कर रही है. पुलिस ने उन पर दंगा फैलाने, हत्या की कोशिश जैसे अपराधों की धाराएं लगाईं. सोमवार सुबह आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता मनीष सिसोदिया और गोपाल राय थाने में बंद लोगों के बारे में जानकारी मांगने तिलक मार्ग थाने पहुंचे तो पुलिस अधिकारी बड़ी अभद्रता से पेश आए. उनका कहना था कि आपको कुछ भी नहीं बताया जाएगा. जो बात जाननी है वह कोर्ट से जानिए. इन सभी पर हत्या के प्रयास के आरोप हैं.

सभी आठ आरोपियों को पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. चूंकि सारे लोगों को पुलिस ने अलग-अलग जगहों से उठाया था और वे कोई वकील नहीं कर पाए थे इसलिए उन्होंने मनीष सिसोदिया से आग्रह किया कि वह अदालत के सामने उनका पक्ष रखें. अदालत ने मनीष सिसोदिया को इसकी इजाजत भी दे दी और उन्होंने आरोपियों की ओर से बहस की.  
जब अदालत ने पुलिस से आरोपियों की गिरफ्तारी का समय और स्थान पूछा तो पुलिस ने अलग-अलग समय और स्थान बताया. अदालत ने आरोपी पक्ष का यह तर्क स्वीकार किया कि अलग-अलग स्थान और अलग-अलग समय पर पकड़े गए लोग एक मामले के आरोपी कैसे हो सकते हैं?अदालत ने पुलिस से साफ-साफ जानना चाहा कि आठों आरोपियों में से कौन हिंसा में शामिल था जिसके लिए उसे हत्या के प्रयास का दोषी माना जाएपुलिस अपने बयान में उलझती गई और उसने माना कि गिरफ्तार किए लोगों में से किसी को भी हत्या के प्रयास या तोड़फोड़ में लिप्त नहीं पाया गया था. जब हिंसा हुई उस समय 5-6 हजार लोग थे जिसमें से ये आठ लोग हाथ आ गए. अदालत ने सभी आठ लोगों को 10-10 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी.

पुलिस जनआक्रोश से पैदा हुए एक गैर-राजनीतिक आंदोलन को हिंसक आंदोलन साबित करने की साजिश में जुटी है. आम आदमी पार्टी इसकी निंदा करती है. निहत्थे और निर्दोष लोगों पर हत्या के मुकदमे दायरकर पुलिस जनता के मन में खौफ पैदा करना चाहती है ताकि लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए भी सड़क पर न उतरें. सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दिए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए जिस तरह इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में धारा 144 लगाई गई वह असंवैधानिक है.

आम आदमी पार्टी का मानना है कि किसी आन्दोलन की ताकत अहिंसा ही हो सकती हैहिंसा तो कतई नहीं. अंगरेज़ भी अहिंसा की इसी ताकत के आगे बेबस थे. हमारा मानना है कि आन्दोलन को अगर आगे चलाना है और किसी मंजिल तक पहुंचाना है तो उसे अहिंसक बनाए रखना ज़रूरी है. हिंसा किसी भी आन्दोलन को कुचलने का सबसे बड़ा बहाना बन जाती है.

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