दिनांक 26 अगस्त 2012 दिल्ली में जो अहिंसक मार्ग से आंदोलन हुआ उस आंदोलन में जो जो आंदोलनकारी शामिल हुए उन सबको मैं बधा देता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। पुलिस वाले मार पिटाई करते रहे लेकिन किसी भी आंदोलनकारी ने हाथ नहीं उठाया, पानी के बौछार से मारा, अश्रधुर छोड़ा लेकिन सब सहन करते आंदोलन किया यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण लगी।
आंदोलनकारी अपने लिए, अपने परिवार के लिए अपने संस्था के लिए क्या मांग रहे है? आंदोलनकारी इतना ही मांग रहे थे कि कोयला घोटाला के बारे में संसद में छ: दिन से चर्चा नहीं हो रही, यह जनता का पैसा आप बर्बाद क्यों कर रहे हैं। कोयले घोटाले में कांग्रेस क्या और बीजेपी क्या दोनों पक्ष और पार्टी के लोक जिम्मेदार हैं। जनता की दिशाभूल करने के लिए संसद में तू-तू मैं-मैं हो रही है। आंदोलनकारियों का कहना है कि देश के आजादी के लिए लाखों शहीदों ने अपनी कुर्बानी दी है, हसते हसते फांसी पर चले गए उनका देश और देश की जनात की खुशहाली के बारे में बहुत बड़ा सपना था। आज राजनीति के कई लोगों ने सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता इसी सोच में उनका सपना मिट्टी में मिला दिया। वह सपना पूरा करने का इन आंदोलनकारियों की कोशिश है। हम पुलिस के डंडे खायेंगे इतना ही नहीं गोली भी खायेंगे लेकिन उन शहीदों का सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे। मैं जब टीवी देख रहा था कि आंदोलनकारी पुलिस के सामने खड़ा है और पुलिस उसको एक जानवर की तरह डंडे से पीट रही थी लेकिन किसी भी आंदोलनकारी ने अपना हाथ नहीं उठाया। उस दृश्य को देखकर मुझे उन नव जवानों पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था और अनुभव कर रहा था कि देश में परिवर्तन का समय आ गया है। ऐसे परिवर्तन लाने के लिए यही रास्ता है, जो यह युवक कर रहे थे।
आजादी की दूसरी लड़ाई में सफल होना है तो मार खाना पड़ेगा, लाठी खानी पड़ेगी। समय आ गया तो गोली भी खानी पड़ेगी। अब संपूर्ण परिवर्तन के लिए आजादी की दूसरी लड़ाई की शुरूआत हो गई है। उसका प्रदर्शन आंदोलनकारी युवकों ने किया है। इस प्रदर्शन से देश के युवकों को एक नई दिशा मिलेगी, नई प्रेरणा मिलेगी और दिल्ली की अहिंसक मार्ग से शुरू हुई आजादी की दूसरी लड़ाई की चिंगारी अब देश में फैल जाएगी और संपूर्ण परिवर्तन के तरफ यह आंदोलन जाएगा। मैं फिर से युवकों को आह्वान करता हूं कि राष्ट्रीय संपत्ती हमारी संपत्ती है, उसका कोई भी नुकसान ना हो रास्ते स गुजरने वाले सभी भाई बहन हमारे भाई बहन है, उनको तकलीफ ना हो, तकलीफ हमने सहन करनी है, आत्मकलेश हमने सहन करना है और उनकी वेदना ये जनता को होनी है। जैसे आज पुलिस वाले आंदोलनकारियों के पिट रहे थे लेकिन वेदना देश की जनता को हो रही थी।
आज के दिल्ली के आंदोलन का आदर्श देश के युवाओं को लेना है और आगे कोई भी हिंसा ना करते हुए अहिंसा के मार्ग से आंदोलन करना है। मुझे विश्वास हो रहा है कि आजादी की दूसरी लड़ाई में हम कामयाब हो जाएंगे। सभी आंदोलनकारियों का फिर से धन्यवाद्।
भवदीय,
कि. बा. उपनाम अण्णा हज़ारे
No comments:
Post a Comment